महाराष्ट्र भूमी। झालिया पावन
डेबूचे स्मरण। सदाकाळ।।१।।
झाला कर्मयोगी। वैराग्याची मूर्ती
चहुकडे कीर्ती। डेबूचिया।।२।।
चिंध्यांचा तो वेष। करती धारण
स्वच्छतेचा प्रण। जीवनात।।३।।
घेऊनिया हाती। गाडगं खराटा
झाडीतसे वाटा। समस्त त्या।।४।।
अशिक्षित जरी। शिक्षणाचा ध्यास
ज्ञान जीवनास। आवश्यक।।५।।
घणाघाती टीका। अंधश्रद्धेवर
कर्मकांडावर। करी हल्ला।।६।।
डेबू सांगे सर्वां।माणसात देव
दगडात भाव। का शोधावा।।७।।
करिती कीर्तन।गोपाला गोपाला
करा अज्ञानाला। सदा दूर।।८।।
दारे शिक्षणाची। उघडली जना
या समाज मना। प्रकाशले।।९।।
चालते बोलते। विद्यापीठ बाबा
ज्ञानावर ताबा। असे त्यांचा।।१०।।
महान तपस्वी। उद्धारी जगता
गरीबांचा त्राता। डेबू माझा।।११।।
पावन स्मृतीस। विजेता वंदिते
सुमने अर्पिते। शब्दरूपी।।१२।।
सौ.विजेता चन्नेकर (भुमर गोंदिया)